वारसा: अतीत का बोझ: एक परिवार का राज़, एक युग का न्याय।
वारसा: अतीत का बोझ
देसाई मिल, कभी मुंबई के गौरव का प्रतीक थी, अब दिवालियेपन के कगार पर है। परिवार की युवा और महत्वाकांक्षी वास्तुकलाविद्, अदिति देसाई, को अपनी दादी, अज्जी की मृत्यु के बाद एक रहस्यमय पत्र और तस्वीर मिलती है। अज्जी का अतीत, जिसे हमेशा सादा और सीधा बताया गया था, अब एक भयानक रहस्य को छिपा रहा है। पत्र अदिति को कोंकण के अंबावाड़ी गाँव तक ले जाता है, जहाँ एक भयानक आग ने अज्जी के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया था, और एक अनैतिक ज़मीन का सौदा हुआ था।
अदिति की जांच उसे 1950 के दशक में ले जाती है, जहाँ युवा राधा (अज्जी) को अपने परिवार को गरीबी से निकालने के लिए एक शातिर व्यापारी, प्रभाकर देशमुख के साथ समझौता करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इस समझौते में कोंकण की सार्वजनिक ज़मीन पर ज़हरीले रासायनिक कचरे का डंपिंग और शंकर राणे नामक एक मासूम ग्रामीण की हत्या शामिल थी। जैसे-जैसे प्रभाकर का प्रभाव बढ़ता गया और उसने देसाई मिल में अपने काले धन का निवेश किया, राधा को धीरे-धीरे एहसास हुआ कि उसे एक ऐसे अपराध में फँसाया गया है जिसने उसके जीवन पर 'पाप का बोझ' डाल दिया।
वर्तमान में, अदिति को पता चलता है कि प्रभाकर का काला साम्राज्य आज भी सक्रिय है, और इसका मास्टरमाइंड उसका अपना चाचा, अर्जुन देसाई है। अदिति को राजेश मेहरा और प्रभाकर के अन्य सहयोगियों से व्यक्तिगत ख़तरे का सामना करना पड़ता है, जो सच्चाई को छिपाना चाहते हैं। लेकिन अदिति हार नहीं मानती है। सुनील चाचा, प्रभाकर का पूर्व दोस्त, और अविनाश देशमुख, प्रभाकर का बेटा, अदिति के अप्रत्याशित सहयोगी बन जाते हैं, जो उसे प्रभाकर के काले धन के जाल को उजागर करने में मदद करते हैं। पर्यावरणीय वैज्ञानिक डॉ. मीरा शर्मा, राजेंद्र कुलकर्णी और विजय जोशी जैसे गवाहों की मदद से, अदिति कोंकण की पर्यावरणीय आपदा को मीडिया के सामने उजागर करती है, जिससे पूरे देश में हड़कंप मच जाता है।
'वारसा' सिर्फ़ एक पारिवारिक रहस्य नहीं है, बल्कि यह भ्रष्टाचार, पर्यावरणीय अन्याय और नैतिक दुविधा की एक शक्तिशाली कहानी है। अदिति को न्याय के लिए एक लंबी और ख़तरनाक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है, जिससे देसाई परिवार की दशकों पुरानी प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती है। क्या अदिति अज्जी के बोझ को हल्का कर पाएगी? क्या शंकर राणे और कोंकण के पीड़ितों को न्याय मिलेगा? और क्या देसाई परिवार अपने काले अतीत से मुक्ति पाकर एक नई, ईमानदार विरासत स्थापित कर पाएगा? यह उपन्यास आपको अपने परिवार के इतिहास, सामाजिक जिम्मेदारी और सच्चाई की अंतहीन खोज के बारे में सोचने पर मजबूर कर देगा।
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