लाल किले का भेदी : ब्रिटिश राज का अँधेरा, एक भेदी की रोशनी
लाल किले का भेदी
1942 का भारत, ब्रिटिश राज की क्रूरता और स्वतंत्रता संग्राम की लौ से धधक रहा था। दिल्ली का लाल किला, ब्रिटिश शक्ति का प्रतीक, अब मात्र एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं, बल्कि एक अदम्य कारागार था, जहाँ साम्राज्य के सबसे गहरे और स्याह रहस्य छिपे थे। इन्हीं दीवारों के भीतर, एक साधारण बावर्ची, किशन, अपनी रोज़मर्रा की दिनचर्या में एक असाधारण जासूस में बदल जाता है। उसकी पैनी नज़र, शांत स्वभाव और ब्रिटिश अधिकारियों की आदतों का उसका ज्ञान, उसे दुश्मन के सबसे संवेदनशील ठिकानों तक पहुँचने का अप्रत्याशित अवसर प्रदान करता है। जैसे ही किशन को ब्रिटिशों के 'ऑपरेशन आयरनहॉर्स' (रेलवे लाइनों को बाधित करने की योजना) और 'ऑपरेशन चक्रव्यूह' (भारतीय प्रतिरोध को कुचलने का अभियान) के बारे में पता चलता है, वह आज़ादी की लड़ाई में एक गुप्त मोहरा बन जाता है। उसका मिशन और भी जटिल तब हो जाता है, जब उसे 'फुसफुसाते तार' परियोजना का पता चलता है – ब्रिटिशों का एक अत्याधुनिक जासूसी नेटवर्क जो भारतीय राष्ट्रवादियों के सभी गुप्त संदेशों को पकड़ रहा है। इस परियोजना के पीछे एक बंधक भारतीय विद्वान, प्रोफेसर राघव का मजबूर श्रम है, जिसे ब्रिटिश अपनी डिकोडिंग क्षमताओं के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। किशन को प्रोफेसर राघव को बचाना होगा, भले ही इसके लिए उसे अपनी जान दाँव पर लगानी पड़े। अपनी यात्रा के दौरान, किशन को 'दिल्ली दरबार नेटवर्क' के विश्वासघाती चेहरों का सामना करना पड़ता है – भारतीय अभिजात वर्ग जो अपने ही देश को ब्रिटिशों के हाथों बेच रहे हैं। लेकिन सबसे चौंकाने वाला रहस्य तब सामने आता है, जब किशन को पता चलता है कि ब्रिटिश साम्राज्य भीतर से ही सड़ रहा है: एक प्रमुख ब्रिटिश अधिकारी, कप्तान फ़िंच, वास्तव में एक 'डबल एजेंट' है, जो जनरल थॉर्न को गुमराह कर रहा है। यह 'दोहरी चाल' ब्रिटिश सत्ता के भीतर गहरी दरारें उजागर करती है, जिसका फ़ायदा उठाकर किशन और उसका नेटवर्क ब्रिटिशों को उन्हीं के खेल में मात देने की योजना बनाते हैं। किशन अकेला नहीं है। उसे निडर रश्मि, जो भूमिगत अख़बार चलाती है; बुद्धिमान प्रोफेसर वर्मा, जो रणनीतिकारों के गुरु हैं; और लाल किले के भीतर छिपा, वफ़ादार गणेश का समर्थन प्राप्त है। साथ मिलकर, वे गुप्त संदेशों को बुनते हैं, भ्रामक जानकारी फैलाते हैं, ब्रिटिश आपूर्ति लाइनों को बाधित करते हैं, और विश्वासघाती नेटवर्क का पर्दाफाश करते हैं। "लाल किले का भेदी" एक तेज़-तर्रार, मनोवैज्ञानिक थ्रिलर है जो देशभक्ति, विश्वासघात और मानव आत्मा के अदम्य संकल्प की पड़ताल करता है। क्या एक अदना-सा बावर्ची ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला सकता है, और भारत को आज़ादी की नई सुबह की ओर ले जा सकता है? इस रोमांचक गाथा में, हर पल दाँव पर है, और हर रहस्य आपकी साँसें थाम देगा।
Comments
Post a Comment