किराये के आँसू: एक शहर। एक साज़िश। और किराए पर मिलते आँसू।
किराये के आँसू
एक शहर। एक साज़िश। और किराए पर मिलते आँसू।
शशांक त्रिवेदी, एक असफल और हारा हुआ आदमी, अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी खोज करता है: वह अपनी भावनाओं को बेच सकता है। वह इंदौर शहर में ‘आँसू एसोसिएट्स’ की स्थापना करता है, एक ऐसी अनूठी और भयावह एजेंसी जो हर अवसर के लिए किराये के आँसू उपलब्ध कराती है। चाहे किसी अमीर व्यापारी की शोक सभा हो या किसी राजनेता का धरना, शशांक और उसकी टीम हर भावना का एक নিখুঁत प्रदर्शन करने में माहिर है। उनका यह भावनाओं का व्यापार उन्हें पैसा और सफलता तो देता है, लेकिन साथ ही उन्हें सत्ता और राजनीति के एक ऐसे अँधेरे खेल में खींच लेता है जहाँ से वापसी का कोई रास्ता नहीं।
जब एक क्रूर राजनेता, पराग साहू, शशांक की इस कला को अपनी राजनीतिक साज़िशों के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू करता है, तो शशांक महज़ एक धोखेबाज़ नहीं रह जाता; वह एक खतरनाक तंत्र का हिस्सा बन जाता है। इसी बीच, ‘इंदौर क्रॉनिकल’ की एक तेज-तर्रार खोजी पत्रकार, अदिति शर्मा, इन बनावटी प्रदर्शनों के पीछे की सच्चाई को भाँप लेती है। उसकी जाँच उसे एक ऐसे रहस्य की ओर ले जाती है जो केवल भावनात्मक धोखाधड़ी का नहीं, बल्कि एक पुराने पुल घोटाले, कॉर्पोरेट युद्ध, और सौ से ज़्यादा मौतों का है।
जब अदिति का सच पराग साहू के साम्राज्य के लिए खतरा बन जाता है, तो शशांक को एक अंतिम और भयावह आदेश मिलता है - अदिति को हमेशा के लिए चुप कराना। अब शशांक एक ऐसे दोराहे पर खड़ा है जहाँ एक तरफ उसके मालिक का हुक्म है और दूसरी तरफ उसका बचा-खुचा ज़मीर। उसे अपने जीवन का सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक प्रदर्शन करना होगा, एक ऐसा मनोवैज्ञानिक युद्ध लड़ना होगा जहाँ हर किरदार एक मुखौटा पहने है और हर आँसू के पीछे एक जानलेवा सच छिपा है। ‘किराये के आँसू’ एक तेज़ गति का राजनीतिक व्यंग्य और सस्पेंस थ्रिलर है जो आपको उस दुनिया में ले जाएगा जहाँ कुछ भी बिकाऊ है, यहाँ तक कि आपके आँसू भी।
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