काल-जल: जहाँ डर ख़ुद एक शिकारी है।

 

काल-जल

डॉ. अथर्व जोशी, एक अपमानित इतिहासकार, अपनी गुमनाम ज़िंदगी जी रहा है, जब इंदौर के पास एक प्राचीन बावड़ी में एक उद्योगपति की क्रूर, अनुष्ठानिक हत्या उसे अपनी ख़ामोशी तोड़ने पर मजबूर कर देती है। हत्या का तरीक़ा एक भूली हुई पौराणिक कथा, ‘जल-यक्ष’, से भयावह रूप से मेल खाता है—एक ऐसा रक्षक जो अपनी धरती का अपमान करने वालों को दंड देता है।

एक साहसी पत्रकार, मीरा शर्मा के साथ मिलकर, अथर्व एक ऐसी साज़िश की परतों को खोलना शुरू करता है जो कॉर्पोरेट लालच, राजनीतिक भ्रष्टाचार और एक गहरे ऐतिहासिक रहस्य से बुनी गई है। जैसे-जैसे हत्याओं का सिलसिला बढ़ता है, अथर्व को एहसास होता है कि वह सिर्फ़ एक हत्यारे का पीछा नहीं कर रहा है; वह एक ऐसी कहानी का पीछा कर रहा है जिसे ख़ून से लिखा जा रहा है। सच को उजागर करने के लिए, उसे अपने ज्ञान को एक हथियार बनाना होगा, क्योंकि असली ख़ज़ाना ज़मीन के नीचे नहीं, बल्कि इतिहास के पन्नों में छिपा है।


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