निगहबान: सच्चाई की खोज : एक पत्रकार, एक हैकर, और एक साजिश।

 

निगहबान

विक्रम जोशी, इंदौर क्रॉनिकल का एक टूटा-हारा क्राइम रिपोर्टर, अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी ख़बर के पीछे भाग रहा है। विजय नगर के एक चमचमाते शोरूम में हुए हत्याकांड ने शहर को हिलाकर रख दिया। ज़मीन पर बिखरे खून और काँच के बीच, एक गेंदे का फूल और एक टूटी हुई हार्ड ड्राइव उसे एक ऐसी साजिश की ओर ले जाती है, जो इंदौर की गलियों से लेकर मुंबई की कॉर्पोरेट दुनिया तक फैली है। इस साजिश का मास्टरमाइंड है अवनीश राणा, एक ऐसा उद्योगपति जिसका साम्राज्य भ्रष्टाचार और अपराध की नींव पर खड़ा है।

विक्रम की मदद करती है आदिरा, एक बाग़ी हैकर, जिसके पास तकनीक की ताक़त और अपने अतीत के दर्द हैं। उनके साथ है इंस्पेक्टर गीता सिंह, एक ईमानदार पुलिसवाली, जो सिस्टम के भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जंग लड़ रही है। जैसे-जैसे यह तिकड़ी राणा के नेटवर्क की परतें उधेड़ती है, उन्हें पता चलता है कि सच्चाई की कीमत सिर्फ खून नहीं, बल्कि उनकी अपनी आत्मा भी हो सकती है।

इंदौर की तंग गलियों से लेकर मुंबई की चमकती रातों तक, यह कहानी सस्पेंस, विश्वासघात, और मोचन की एक रोलरकोस्टर सवारी है। क्या विक्रम अपने गुरु पुरोहित की हत्या का बदला ले पाएगा? क्या वह राणा के साम्राज्य को ढहा पाएगा, या सिस्टम उसे और उसकी सच्चाई को कुचल देगा? "निगहबान: सच्चाई की खोज" एक ऐसी कहानी है, जो सत्य की तलाश को एक खतरनाक खेल में बदल देती है।

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